स्वातंत्र्य दिन हिंदी भाषण 1

15 अगस्त हिंदी भाषण | 15 ऑगस्ट छोटी हिंदी भाषणे | स्वातंत्र्य दिन हिंदी भाषण | स्वातंत्र्य दिन हिंदी माहिती | 15 August Hindi Speech

माननीय अतिथि, मुख्य अध्यापक महोदय, शिक्षक गुरुजन और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को मेरा नमस्कार।

मुझे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आपके सामने खड़े होकर इस विशेष दिन के अवसर पर आप सभी को संबोधित करते हुए बहुत खुशी महसूस हो रही है। हम सभी भारतीवासी स्वतंत्रता दिवस के महत्व को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं और ब्रिटिश शासन के अत्याचारों से अपनी आजादी वापस प्राप्त करने पर अत्यंत गर्व महसूस करते हैं। जब भी मैं हमारे राष्ट्रीय झंडे को लहराते हुए देखता हूं तो मुझे अत्यन्त खुशी महसूस होती है।

मुझे यकीन है कि आप मेरी भावनाओं को समझ सकते हैं। यह बताने की जरूरत नहीं है कि, स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त के दिन मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1947 को विश्व पटल पर भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया था। चूंकि यह हम सभी भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण दिन होता है, इसलिए इसे हमारे देश में राष्ट्रीय अवकाश के रुप में घोषित किया गया है। हम सभी प्रत्येक वर्ष इस दिन को बड़े ही उत्साह और जश्न के साथ मनाते हैं।

यह तो थी स्वतंत्रता दिवस के बारे में कुछ संक्षिप्त बाते, लेकिन क्या यहां कोई भी ब्रिटिश शासन की अवधि के बारे में जानता है? मैं आपको बता दू कि 1858 से 1947 तक अंग्रेजों ने हमारे भारतीय उपमहाद्वीप को अपना उपनिवेश बनाया था। इसी समय अवधि को ब्रिटिश राज काल या अंग्रेजी हुकूमत का दौर कहा जाता है।

अब, यह जानना और भी दिलचस्प हो जाता है कि आखिर हमारे देश में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन कैसे शुरू हुआ। जब ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में आयी तो उनके द्वारा कई षड्यंत्रो के तहत भारतीय नागरिकों की सम्पति और भूमि हड़प ली गयी और रानी विक्टोरिया द्वारा इन चाजों को शाही संपत्ति घोषित कर दिया गया।

ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में एलिजाबेथ प्रथम के राजशाही शासन के दौरान रॉयल चार्टर के तहत हुई थी। हालांकि स्पष्ट रूप से इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार करना था, पर अंत में इसने हमारे भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्से को नियंत्रित करके इसे ब्रिटीश हूकुमत का एक उपनिवेश बना दिया। उस समय भारतीय उपमहाद्वीपों में रहने वाले लोग रानी विक्टोरिया के अधीन अंग्रजी हुकुमत के औपनिवेशिक शासन तथा बाद में अन्य राजाओं के अधीन बन कर रह गए थे।

मुझे विश्वास है कि हम सभी इस तरह के चुनौतीपूर्ण स्थिति के तहत आजादी प्राप्त करने का अनुमान लगा सकते हैं। हालांकि यह एक आसान काम नहीं था, लेकिन लंबे और निरन्तर प्रयासों के बाद हमने अपनी इस आजादी को हासिल किया। महात्मा गांधी जी या जिन्हें हम आम तौर पर बापू के नाम से संबोधित करते हैं स्वतंत्रता प्राप्त करने में मुख्य रूप से योगदान देने वाले सबसे अहम व्यक्तित्वों में से एक थे। उन्होंने हिंसा या रक्तपात के मार्ग का पालन न करके स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये अंहिसा के मार्ग को चुना।

उन्होंने हिंसा नीति और सशस्त्र लड़ाई माध्यम का प्रयोग करने के बजाय अपने अनुयायियों के साथ अहिंसा अभियान जैसे भूख हड़ताल और सविनय अवज्ञा जैसे आंनदोलन करके अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उनके इन्ही कठिन प्रयासों के चलते आखिरकार हमारे देश से ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिली। हमें उन वीर आत्माओं का नमन करना चाहिए जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को बलिदान कर दिया, इसके साथ ही हमे उनके महान कार्यों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करनी चाहिए। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि उनके प्रयासों और बलिदानों के कारण ही आज हम इस स्वतंत्र भारत में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

भारत अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने से पहले ही स्वशासन के ओर बढ़ चुका था। 19 वीं शताब्दी में, विभिन्न सलाहकार के पदो पर कई भारतीय काउंसिलर्स नियुक्त किए गए थे। उन्हें ब्रिटिश वाइस-राय के सलाहकार के रुप नियुक्त किया गया था। उन्होंने भारत के प्रमुख हिस्सों में शासन करना जारी रखा। वर्ष 1892 में, इन काउंसिलर्स के साथ-साथ अन्य भारतीय अधिकारियों को सशक्त बनाने के लिए भारतीय परिषद अधिनियम के रूप में एक कानून भी पारित किया गया था। परन्तु वे सदैव उच्च ब्रिटिश अधिकारियों के अधीन ही रहे और उन्हें सफल होने के लिये हमेशा अंग्रजो के पक्षपाती रवैये का सामना करना पड़ा।

14 अगस्त और 15 अगस्त 1947 के मध्यरात्रि और दिन के समय के बीच भारतीय स्वतंत्रा की संधि पर हस्ताक्षर किया गया था। उस समय जॉर्ज VI •ब्रिटेन राजा के रूप में वहां शासन कर रहे थे और क्लेमेंट एटली उनके प्रधान मंत्री थे। आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और ब्रिटेन को भारत पर अपने शासन को छोड़ना पड़ा। स्वतंत्रता के बाद अंग्रेजों का भारतीय मामलों से कुछ लेना देना नहीं रह गया।

भले ही हमने वह समय ना देखा हो, लेकिन हम उस महत्वपूर्ण समय को बहुत अच्छी तरह से महसूस कर सकते हैं जब हमारे देश को वास्तव में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। हम इस देश के नागरिक होने पर गर्व महसूस करते हैं। हालांकि, आजादी से कई वर्ष पहले 1929 में ही आजादी की घोषणा कर दी गई थी और इस दिन को पूर्ण स्वराज का नाम दिया गया था। इसकी घोषणा भारतीय ध्वज फहराने के साथ महान स्वतंत्रता सेनानियों, महात्मा गांधी और अन्य लोगों द्वारा की गयी थी। यह वास्तव में सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण क्षण था। यह समझना काफी महत्वपूर्ण है कि भले ही भारत ने वर्ष 1947 में अपने आजादी को प्राप्त किया हो, परन्तु फिर भी 1950 के दशक में भारत का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आधिकारिक संविधान लागू किया गया। इस बीच की 3 वर्ष की अवधि को हम परिवर्तनकाल का समय कह सकते है।

तो हम भारतीय भला इस महत्वपूर्ण दिन को धूमधाम और उत्साह के साथ मनाने के बजाय सामान्य रुप में कैसे बिता सकते हैं। इस महान ऐतिहासिक दिन पर, हमारे देश के प्रधान मंत्री लाल किले पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराते है, जिसके बाद राष्ट्रीय गान प्रारंभ किया जाता है।

संकलन : गिरीश दारुंटे, मनमाड-नाशिक

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