15 ऑगस्ट स्वातंत्र्य दिन सूत्रसंचालन हिंदी | 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस हिंदी सूत्रसंचालन | स्वातंत्र्य दिन सूत्रसंचालन | Independence Day Sutrasanchalan | 15 August Independence Day Hindi Anchoring | गिरीश दारुंटे मनमाड | Girish Darunte Manmad

स्वागतम... स्वागतम... स्वागतम ...!!

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा,

हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा।

मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना,

मजहब.... नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।

हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्तां हमारा ।।

स्वतंत्रता दिवस कि इस मंगल प्रभा के अवसर पर मै ...................... सबसे पहले आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देता हुं और स्वतंत्रता समारोह के लिए मौजूद सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करता हुं।

प्रिय छात्रों, हम हर साल स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। लेकिन आज हम आजादी के अमृत का जश्न मनाते हैं, यानी हमारे देश भारत को आजादी मिले 75 साल पूरे हो चुके हैं। पूरे देश में हम सामान्य से अधिक उत्साह और विभिन्न अभियान के साथ मना रहे हैं।

हर घर तिरंगा अभियान पूरे भारत देश में बडेही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। आज हम पूरे भारत को तिरंगे में लिपटा हुआ देख रहे हैं| हमारे देश का गौरव, हमारा राष्ट्रीय ध्वज, यानी हमारा तिरंगा, जहां तक ​​नजर जाती है, हर घर पर गर्व के साथ फहराया जा रहा है। मैं कहूंगा कि यह निश्चित रूप से भाग्य की बात है कि हम भारत की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव  देख रहे हैं |

आज भारत को स्वतंत्रता प्राप्त किए ...... साल पूर्ण हो रहे है । क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी पाने के लिए अपने जीवन का त्याग किया। कई महान पुरुषों के नेतृत्व में, कई वीरोने आजादी के युद्ध में अपने देश के लिए अपने जीवन का त्याग किया | 15 अगस्त 1947 को, भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कर दिया गया | पंडित नेहरूजीने 14 अगस्त 1947 कि मध्यरात्रि में तिरंगा फहराया और भारत को तिरंगे के रूप में स्वतंत्र भारत की एक नई पहचान मिली |

तिरंगा... जिसमें से प्रत्येक रंग भारत की गौरवता और ताकत का प्रतीक है, केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग सच्चाई, पवित्रता और शांति का प्रतीक है और हरे रंग को विश्वास और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। साथ हि सफेद रंग के पट्टी के मध्य गहरे नीले रंग का चक्र जिसमे २४ आरे होते है, यह भारत की निरंतर प्रगति का प्रतीक है। तिरंगा भारतीयों के भाईचारा और अखंडता की पहचान करता है।

आजाद भारत के लाल हैं हम,

आज शहीदों को सलाम करते है ।

युवा देश की शान हैं हम,

अखंड भारत का संकल्प करते है ।

अध्यक्ष चुनाव :

मंच रौशन हुआ जगमगाहट मिली,

हर्ष आनंद की खिलखिलाहट मिली

आपके आगमन से श्रीमान जी,

हर किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट खिली

आज के स्वतंत्रता समारोह का अध्यक्षस्थान, जो कि अपने सामाजिक कार्य और समर्पणभाव के बारे में जाने माने और प्रसिद्ध हैं, ऐसे श्रीमान / श्रीमती ......... स्वीकारे ऐसी उन्हे विनती करता हूं।

(सहकारी शिक्षक / शिक्षिका इस विनती को सब कि तरफ से अनुमती दे।)

हमारा भाग्य है कि आज के समारोह के लिए मुख्य अतिथि के रूप में, श्रीमान / श्रीमती ......... हमारी विनती का स्वीकार कर यहा पधारे मैं उनका भी सहृदय स्वागत करता हूं

ध्वज पूजन / प्रतिमा पूजन / दीपप्रज्वलन :

उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों से विनती हैं कि वे दीपप्रज्वलन / प्रतिमा पूजन करे |

मोहब्बत का दूसरा नाम हैं मेरा देश,

अनेक में एकता का प्रतिक हैं मेरा देश

चंद गैरों की सुनना मुझे गँवारा नहीं,

हिन्दू हो या मुस्लिम सभी का प्यारा है मेरा देश

इसके बाद आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष आदरनीय ........ जी को मै विनती करता हूं कि वे ध्वजस्तंभ की पूजा करे और उस के बाद तिरंगे को फहराये ।

(तिरंगा फहराने के बाद तिरंगे को सलामी देते हुए राष्ट्रगान शुरू किया जाए| राष्ट्रगान समाप्त होणे के बाद, नारे दिए जाए|)

भारत माता की जय !!

भारत माता की जय !!

भारत माता की जय !!

 (झंडा गीत का गायन किया जाए।)

मैं सभी गणमान्य व्यक्तियों से विनती करता हूं की सभी अपना आसन ग्रहण करे, धन्यवाद !!

गणमान्य व्यक्तियों का परिचय :

गणमान्य व्यक्तियों का उनके सामाजिक प्रतिष्ठा और कार्य के अनुसार परिचय

अध्यक्ष : श्रीमान / श्रीमती. ...........

मुख्य अतिथि : श्रीमान / श्रीमती. ...........

गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत :

(पुस्तक / पौधें के रूप में भेट देकर स्वागत करे ।)

हथेली पर सूरज उगता है,

सुना था आज देख लिया |

उम्मीद मिल जाए तो,

मन हवा में उड जाता है देख लिया |

आप यहा पधारे,

हमारे हौसलों को तो पंख लग गये |

मानो अच्छे इंसान के साथ कैसे,

जहाँ जुड़ जाता है देख लिया|

स्वागत करनेवाले : ........

प्रस्तावना :

आज के स्वतंत्रता समारोह के कार्यक्रम कि प्रस्तावना श्रीमान / श्रीमती .......... करेंगे।

स्वतंत्रता जो हमें हमारे पूर्वजों ने 15 अगस्त 1947 को दिलाई एक ऐसी सुनहरी तारीख जिसके कारण हम आज आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। इस आजादी के मोल में कई शहीदों ने अपनी जान की किमत चुकाई । तब जाकर हमें आजाद भारत की छत मिल पाई हैं अब हमारा कर्तव्य हैं कि हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि के रूप में भारत देश का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखवाये।

भारत भूमि माँ स्वरूप मानी जाती हैं। देशवासी भारत माता के बच्चे हैं । अपनी माँ के लिए कर्तव्य निभाने वाले शहीद ही माँ की सच्ची संताने हैं। शहीद के लिए जितना कहे कम हैं। एक ऐसा महान व्यक्ति जो अपने कर्तव्य के आगे अपनी जान तक को तुच्छ मानता है। उसके लिए शब्दों में कुछ कह पाना आसान नहीं। पर हम सभी लोग जिन्हें जान देने का मौका नहीं मिलता या कहे हममे उतनी हिम्मत, ताकत नहीं हैं। हम भी देश के लिए कार्य कर सकते हैं. जरुरी नहीं जान देकर ही देशभक्ति का जस्बा दिखाया जाये. हमें अपने कर्तव्यों अधिकारों के प्रति सजक होना होगा उनका निर्वाह करना होगा. यह उन शहीदों, देश भक्तो एवम मातृभूमि के लिए हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

देश भक्ति प्राण न्यौछावर करके ही निभाई नहीं जाती। देश के लिए हर मायने में वफादार होना भी देश भक्ति हैं। देश की धरोहर की रक्षा करना, देश को स्वच्छ बनना, कानून का पालन करना, भ्रष्ट्राचार का विरोध करना, आपसी प्रेम से रहना आदि यह सभी कार्य देशभक्ति के अंतर्गत ही आते हैं। देश के लिए वफादार बनना ही सही मायने में देश की सेवा हैं इससे देश भीतर से मजबूत होता हैं। देश में एकता बढती हैं और एकता ही देश की शक्ति होती हैं।

आने वाली पीढ़ी को शिक्षित किया जाये। अच्छे बुरे की समझ दी जाये | आदर, सम्मान एवम देशभक्ति का मार्ग दिखाया जाये। इसके बाद ही देश में बदलाव आ सकते हैं।

हमारा देश जिसका ध्वज तीन रंगों से मिल कर बना हैं जिसमे केसरिया रंग जो प्रगति का प्रतीक हैं, सफ़ेद जो अमन एवं शांति का प्रतीक हैं, हरा जो समृद्धि का प्रतीक हैं । साथ में अशोक चक्र जो हर पल बढ़ते रहने का सन्देश देता हैं। तिरंगे का सफ़ेद रंग पूरी दुनियाँ को शांति का सन्देश देता हैं। याद रखियेगा लड़ते वही हैं जिनमे शिक्षा का आभाव होता हैं। अगर किसी देश की प्रगति चाहिए तो उस देश का शिक्षा स्तर सुधारना सबसे जरुरी हैं

स्वतंत्रता दिवस पर केवल शहीदों को याद करना राष्ट्रीय सम्मान करना | देश भक्ति की बाते करने के अलावा हम सभी को प्रण लेना चाहिए कि रोजमर्रा के कार्य में देश के लिए सोच कर कुछ करे जिसमे देश की सफाई, अपने बच्चो एवम आस-पास के बच्चो को एक सही दिशा देने के लिए कुछ कार्य करें, गरीब बच्चो को पढ़ने में मदद करें, बुजुर्गो को सम्मान दे, गलत को गलत कहने की हिम्मत रखे जान बुझकर या अनजाने में भी भ्रष्टाचार का साथ ना दे एवम सबसे जरुरी देश के नियमो का पालन करे। अगर हम रोजमर्रा में इन चीजो को शामिल करते हैं तो देश जरुर प्रगति करेगा और हम सभी भी देश के सपूत कहलायेंगे।

15 अगस्त, 26 जनवरी केवल यह दो दिनों के मौहताज ना बने मातृभूमि इस दिन का इन्तजार नहीं करती। वो तो उस दिन का इंतजार कर रही हैं जब देश की भूमि पर भ्रष्टाचार का नाम न हो, जब बेगुनाहों का कत्लेआम ना हो, जब माता-पिता को वृद्ध होने का संताप ना हो ऐसे दिन के इंतज़ार में मातृभूमि आस लगाये बैठी हैं क्यूँ न यह सौभाग्य हमें मिले और हम अपने छोटे से कार्य का योगदान देकर मातृभूमि की इस इच्छा को करने के लिए एक नीव का मूक पत्थर बन जायें।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक भारतीय द्वारा देशप्रेम और देशभक्ति को ध्यान में रखते हुए देश के विकास के लिए हम सब वचनबद्ध हो जाए। इतना कहकर मै मेरी प्रस्तावना को पूर्णविराम देता हुं धन्यवाद !!

(स्वतंत्रता के विषय पर छात्रो और शिक्षको के भाषण)

(कार्यक्रम के नियोजन अनुसार सांस्कृतिक कार्यक्रम / देशभक्ति गीत गायन)

अध्यक्षीय भाषण :

आज के स्वतंत्रता समारोह के कार्यक्रम के अध्यक्ष श्रीमान / श्रीमती ........ को मैं विनती करता हुं कि वे अपनी मौलिक विचार प्रकट करे, ताकि उनके बहुमूल्य और प्रेरणादायक विचार निश्चित रूप से हमारे छात्रों की प्रगति और समृद्धि के लिए मार्गदर्शक हों। मैं उनसे अपने मौलिक विचार प्रकट करने की विनती करता हूं. धन्यवाद !!

हमारे छात्रों को निश्चित रूप से सभी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दिए गए मार्गदर्शन से लाभ होगा, और वे निश्चित रूप से प्रगति करेंगे

आभारी है हम सबके

दिया मौलिक विचारोंका प्रसाद

हर एक पथ पर स्नेह मिलता रहे

इसी विनती के साथ सब का धन्यवाद ।

सभी गणमान्य व्यक्ति आज के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के लिए उपस्थित हुए उन सब का मै एक बार फिर से धन्यवाद करता हूं।

आज के स्वतंत्रता दिवस के इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए जिन्होंने कड़ी मेहनत और अपना योगदान दिया है और प्रत्यक्ष / अप्रत्यक्ष रूप से काम किया है उन सब का भी बहोत बहोत धन्यवाद ।

जहाँ प्रेम की भाषा हैं सर्वोपरि

जहाँ धर्म की आशा हैं सर्वोपरि

ऐसा हैं मेरा देश हिन्दुस्तान

जहाँ देश भक्ति की भावना हैं सर्वोपरि

और अंत में, विदाई लेने से पहले इतनाही कहूंगा कि...

भुला न पायेगा काल,

प्रचंड एकता की आग को

शान से फैलाकर तिरंगा,

बढ़ाएंगे देश की शान को

बीत जायेगा वक्त भले,

पर मिटा ना पायेगा देश के मान को

ऐसी उड़ान भरेंगे कि,

दुश्मन भी होगा मजबूर ताली बजाने को

कंधे से कंधा मिलाकर,

मजबूत करें आधार को

इंसानियत ही धर्म हैं, बस याद रखें,

भारत माता के त्याग को

देश हैं हम सबका,

बस समझे कर्तव्य के भार को

नव युग हैं आ गया,

अब छोड़ो निराशा के विचार को

आदरनीय अध्यक्ष कि अनुमती से आज का स्वतंत्रता समारोह का कार्यक्रम यहा पर संपन्न हुआ ऐसी मै घोषणा करता हुँ

(कार्यक्रमाचे नियोजन व क्रम यात लवचिकता असणे साहजिक असल्याने आपल्या स्तरावर यात बदल करू शकता.)

शब्दांकन : गिरीष दारुंटे, मनमाड

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