लोकमान्य टिळक हिंदी भाषण २
भारत को स्वतन्त्रता दिलाने वाले महापुरूषों में लोकमान्य तिलक का नाम बड़े आदर और श्रद्धा से लिया जाता है। उन्होंने ही सर्वप्रथम यह कहा था कि स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हम इसे लेकर ही रहेंगे ।
जन्म और परिचय :
तिलक जी का जन्म महाराष्ट्र के रत्नगिरी नामक जिले के एक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम था गंगाधर रामचंद्र । वे अध्यापक थे। बचपन में ही लोकमान्य तिलक के पिता जी का देहान्त हो गया था। आप बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। आपने कई छात्रवृत्तियाँ प्राप्त कीं। आपने सन 1879 ई. में बी. एल. एल. बी. की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली थी।
सम्पादक :
युवकों में राजनीतिक चेतना पैदा करने के लिए लोकमान्य तिलक ने मराठी भाशा में केसरी और मराठा नाम से अंग्रेजी में समाचार पत्र निकाले। इन पत्रों में आप अंग्रेजी शासन की बुराइयों को प्रकाशित करते थे। इससे आपको चार महीन की कैद हुई।
शिवजयंती उत्सव और गणेष उत्सव :
उन्होंने गणेश उत्सव और छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती उत्सव मनाने के लिए लोगों को प्रेरणा दी। इन उत्सवों के द्वारा वे युवकों में राजनीतिक चेतना जगाना चाहते थे। उन्हें अपने लक्ष्य में आशा के अनुसार सफलता मिली।
होमरूल लीग की स्थापना :
लोकमान्य तिलक के विचार कांग्रेस से नहीं मिलते थे। उनका विचार था कि कांग्रेस की ढुलमुल नीति से भारत स्वतन्त्र नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने श्रीमती एनीबेसेंट से मिलकर होमरूल लीग की स्थापना की। लोगों में आपके कार्यों से जागृति पैदा हो रही थी । सरकार इनके कामों से डरने लगी। वह किसी न किसी बहाने उन्हें जेल में डालने का तरीका सोचने लगी। सन 1908 में खुदीराम बोस ने एक सरकारी अफसर पर बम फेंका था। सरकार ने इसके लिए तिलक को दोषी ठहराया और उन्हें सजा देकर छः साल के लिए काले पानी भेज दिया गया। यहाँ रहकर आपने 'गीता रहस्य' नामक पुस्तक लिखी ।
इंग्लैण्ड की यात्रा :
अंग्रेजी के एक लेखक ने अपनी पुस्तक में उन पर अपमानजनक आरोप लगाए। आपने उस लेखक पर मानहानि का दावा कर दिया। इसकी पैरवी करने के लिए आप इंग्लैण्ड गए। अंग्रेज न्यायाधीशों के अन्याय के कारण आपको सफलता नहीं मिली। इंग्लैण्ड से वापस आकर आपने रौलट एक्ट के विरोध में चल रहे आन्दोलन में भाग लेना आरम्भ कर दिया।
मृत्यु :
निरन्तर कठिन परिश्रम करते रहने से उनका स्वास्थ्य गिर गया। उन्हें कई बार जेल की यन्त्रणाएँ भी सहन करनी पड़ीं। इससे उनका स्वर्गवास हो गया। आप की शवयात्रा में बहुत भीड़ थी। लोग दूर दूर से उन्हें श्रद्धा सुमन चढ़ाने के लिए आए थे। आपके निधन के शोक से कई दिन तक बाजार बन्द रहे।
संकलन : गिरीष दारुंटे, मनमाड-नाशिक
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