हिंदी दिवस शायरी
हिंदी मेरा ईमान हैं, हिंदी मेरी पहचान हैं,
हिंदी हूँ मैं, वतन भी मेरा प्यारा हिन्दुस्तान है ।
हिन्दुस्तानी हैं हम गर्व करो हिंदी भाषा पर,
सम्मान देना और दिलाना दायित्व हैं हम पर ।
होठ खामोश थे सिसकियाँ कह गयी,
द्वार बंद थे खिड़कियाँ कह गयी ।
कुछ हमने कहा कुछ हिंदी कह गयी,
जो न कह पायें वो हिचकियाँ कह गयी ।
वक्ताओं की ताकत भाषा,
लेखक का अभिमान हैं भाषा ।
भाषाओं के शीर्ष पर बैठी,
मेरी प्यारी हिंदी भाषा ।
हिंदी और हिन्दुस्तान हमारा हैं,
और हम इसकी शान हैं ।
दिल हमारा एक हैं,
और एक हमारी जान हैं ।
हिंदी हमारी मातृभाषा हैं,
मात्र एक भाषा नही ।
एकता की जान है,
हिंदी भारत की शान हैं ।
हिंदी पूरे विश्व का हो गान,
हिंदी को बनाये भारत की शान ।
हिंदी, हिंदी, हिंदी,
भारत माँ की ये बिंदी ।
हिंदी है तो हैं हम,
बिन हिंदी क्या हैं हम |
हिंदी से बढती देश की शान,
इससे ही होगा हमारा सम्मान ।
हमेशा अपनाओ सब हिंदी भाषा,
हिंदी छोड़ अंग्रेजी बोले ये है निराशा ।
हिंदी से है हिन्दुस्तान, यही हमारा अभिमान है,
सबसे सरल, सबसे न्यारी इससे ही सम्मान है ।
हिन्दुस्तान की है शान हिंदी,
हर हिन्दुस्तानी की है पहचान हिंदी ।
एकता की अनुपम परम्परा है हिंदी,
हर दिल का अरमान है हिंदी ।
मेरा सपना है हिंदी,
मेरा अरमान है हिंदी ।
मेरी जरूरत है हिंदी,
मेरी शौहरत है हिंदी |
भारत के गाँव की शान हिंदी,
हिन्दुस्तान की शक्ति हिंदी ।
मेरे हिन्द की जान हिंदी,
हर दिन नया विहान हिंदी ।
भारत की एकता, अखंडता की,
पहचान है अपनी हिंदी ।
हर भारतवासी की शान है हिन्दी,
हम भारतियों की शक्ति है हिंदी,
हमारे दिलों की अभिव्यक्ति है हिंदी,
इसने ही तो देश को जोड़ रखा है,
हमारे बीच के मतभेदों को तोड़ रखा है ।
भारत माँ के माथे की बिंदी है हिंदी,
इससे रौनक आती है हमारी मातृभाषा हिंदी ।
हिंदी अगर हम सब मिलकर अपनाएंगे,
तभी अपने देश का हरपल मान बढ़ाएंगे ।
इसने ही सबको आपस में है जोड़ा,
बैर भाव को इसने जड से तोडा ।
जन-जन की हिंदी प्यारी भाषा है,
पुरे भारत की ये आशा है ।
इसके बिना जीवन थम जाये,
यह तो जीवन की परिभाषा है ।
नारा इक है सबसे प्यारा,
हिंदी हैं हम वतन हैं ।
ये सबको जोड़े रखता है,
एकता की हिंदी अनुपम परम्परा है।
हिंदी तो कालजयी है,
इसने जीता है काल को ।
इससे बढती सबकी शान है,
हिंदी से ही तो हमारी पहचान है ।
हिंदी मेरे रोम-रोम में बसती है,
इससे ही तो रोशन मेरी हसती है ।
सबसे न्यारी-प्यारी भाषा है हिंदी,
ये तो चमकती मेरे माथे पर वो है बिंदी ।
हिंदी सबसे सोम्य, सबसे सरल है,
ये ओजस्विनी और तेजस्विनी है ।
पढने और पढाने में सहज होती,
तभी तो सबसे प्रिय और मीठी होती ।
हिंदी का करिये सब सम्मान,
ये है प्रेम और सोहार्द का दूजा नाम ।
हर भारतवासी का है सम्मान,
दिल से बोलो हिंदी है महान |
हर कण-कण में बस्ती मेरी हिंदी,
मुझको लगती, जैसे मेरी माँ है हिंदी ।
इससे बढ़ता है मेरा मान,
भारत की भी बढती इससे शान।
हिंदी सबने है अपनाई,
हिंदी से है हिन्दुस्तानी ।
इससे ही हमारी पहचान है,
ये तो हमारी सबकी शान है ।
ये भाषा सबके दिलों को है जोडती,
जन्मदिवस को आपस में सदा है जोडती ।
ये है और शानदार अनोखी लिपि,
हम सबको ये सभ्यता की और मोडती ।
संकलक : गिरीश दारुंटे, मनमाड-नाशिक
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